कोशिका भित्ति




कोशिका भित्ति।:

पादप कोशिकाओं में प्लाज्मा झिल्ली के अतिरिक्त कोशिका भित्ति भी होती है।पादप कोशिका भित्ति मुख्यत: सैलूलोज की बनी होती है। सैलूलोज एक बहुत जटिल पदार्थ है और यह पौधों को संरचनात्मक दृढ़ता प्रदान करता है।
जब किसी पादप कोशिका में परासरण द्वारा पानी की हानि होती है तो कोशिका झिल्ली सहित आंतरिक पदार्थ संकुचित हो जाते हैं। इस घटना को जीव द्रव्य कुंचन कहते हैं। हम इस पनीर घटना को निम्नलिखित क्रियाकलाप द्वारा देख सकते हैं। 
क्रियाकलाप :
:रिओ की पत्ती की झिल्ली को पानी में रखकर एक स्लाइड बनाओ। इसे उच्च शक्ति वाले सूक्ष्मदर से देखो। इन्हें क्लोरोप्लास्ट कहते हैं। इनमें एक हरा पदार्थ होता है जिसे क्लोरोफिल कहते हैं। इस स्लाइड पर शक्कर अथवा नमक का सांद्र विलयन डालो। 1 मिनट प्रतीक्षा करो और इसे सूक्ष्मदर्शी से देखो। हम क्या देखते है?
: अब रिओ की पत्तियों को कुछ मिनट तक जल में  उबालो। इससे पत्तियों की सभी कोशिकाएं मर जाएगी। अब एक पत्ती को स्लाइड पर रखो और सूक्ष्मदर्शी से देखो। स्लाइड पर रखि इस पत्ती पर शक्कर अथवा नमक का सांद्र विलयन डालो। 1 मिनट प्रतीक्षा करो और पुनः सूक्ष्मदर्शी से देखो।
हम क्या देखते? क्या अब जीव द्रव्य कुंचन  हुआ?

इस क्रियाकलाप से क्या निष्कर्ष निकलता है?
इससे पता लगता है कि केवल जीवित कोशिकाओं में ही परासरण द्वारा जल अवशोषण क्षमता होती है नहीं मृत कोशिकाओं में।
कोशिका भित्ति पौधों, कवक तथा बैक्टीरिया की कोशिकाओं को अपेक्षाकृत कम तनु विलियन (अल्पपरासरण दाबी विलियन) मे बिना फटे बनाए रखती है। ऐसे माध्यम से कोशिका परासरण विधि द्वारा पानी लेती है। कोशिका फूल जाती है और कोशिका भित्ति के ऊपर दबाव डालती है।कोशिका भित्ति भी फूली हुई कोशिका के प्रति समान रूप से दबाव डालती है कोशिका भित्ति के कारण पादप कोशिकाए परिवर्तनीय माध्यम को जंतु कोशिका की अपेक्षा आसानी से सहन कर सकती है।

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